आगरा। अगर पीड़ित को विभाग से न्याय नहीं मिलता है तो वह न्यायपालिका
की शरण लेता है और आखिरकार अधिकारी को निर्णय लेना ही पड़ता है। कुछ ऐसा ही
प्रकरण बरौली अहीर के नौकरी प्राथमिक विद्यालय में देखने को मिला है।
अधिकारियों के शिथिल कार्यशैली के चलते शिक्षिका को न्याय नहीं मिला तो
उसने आदेशों की अवहेलना करना ही उचित समझा और कह दिया चाहे आप मुझे
संस्पेंड कर दो लेकिन मैं उस विद्यालय में वापस नहीं जाऊंगी।
बता
दें कि करीब दो साल से बरौली अहीर नौफरी (अंग्रेजी माध्यम) प्राथमिक
विद्यालय में दो शिक्षिकाएं कामिनी शर्मा और मीना कुमारी में विवाद चल रहा
था । मीना कुमारी का आरोप था कि विद्यालय की प्रभारी कामिनी शर्मा ने
उन्हें मानसिक तौर परेशान कर दिया था। उनके साथ जातिगत आधार पर दुर्व्यवहार
किया जाता था। विद्यालय से हटने के लिए उन्होंने कई अधिकारियों पर फरियाद
लगाई, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। इसी भागदौड़ में वर्ष 2019 में उसका
गर्भपात भी हो गया। जिलाधिकारी, सीडीओ और बीएसए सभी अफसरों के पास वह न्याय
के लिए भटकी। इसके बाद वह कोर्ट पहुंची और कोर्ट ने स्थानांतरण और मूल
विद्यालय ज्वाइन कराने के आदेश दिए।
बीएसए राजीव
कुमार यादव ने उन्हें स्थानांतरण नहीं करके मूल विद्यालय में ज्वाइन करने
के आदेश दे दिए। शिक्षिका मीना कुमारी ने विद्यालय ज्वाइन नहीं किया आदेशों
की अवहेलना के चलते मीना कुमारी को सस्पेंड कर दिया है । वहीं विद्यालय
प्रभारी कामिनी शर्मा पर भी आदेशों का अनुपालन नहीं करने आरोप के चलते
उन्हें भी संस्पेंड कर दिया है । इस संबंध में बीएसए राजीव कुमार यादव को
संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका है।
बच्चों की पढ़ाई होती रही प्रभावित
दो
साल से अधिक समय से दोनों शिक्षिकाओं के बीच वाद-विवाद चल रहा था।
शिक्षिकाओं के इस विवाद में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती रही। प्रशासनिक व
शिक्षा अधिकारियों को मामले की जानकारी होने के बाद भी निपटारा नहीं किया।
जबकि दोनों शिक्षिकाओं के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई।
देवेंद्र कुशवाह से भी हुआ था विवाद
नौफरी
प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षक देवेंद्र कुशवाह के साथ भी कामिनी
शर्मा का विवाद था। उन्होंने भी विद्यालय ज्वाइन नहीं किया और उन्हें बीएसए
ने संस्पेंड कर दिया अब वह पचगई खेड़ा में बहाल हो गए हैं।
0 comments:
Post a Comment