
सिद्धार्थनगर
: भले ही आम आदमी को कोई भी प्रमाणपत्र पाने के लिए कई दिन इंतजार करना
पड़े, बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी के भाई डा.अरुण द्विवेदी का
ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र आवेदन के दिन ही जारी हो गया था। प्रमाणपत्र देने
में प्रशासन ने इतनी दरियादिली दिखाई कि लेखपाल से लगायत सभी की रिपोर्ट
आननफानन लग गई। डा. अरुण इसी प्रमाणपत्र के आधार पर सिद्धार्थ
विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त हुए थे।
अरुण
द्विवेदी ने 29 नवंबर 2019 को प्रमाणपत्र के लिए नोटरी बयानहल्फी बनवाई।
इसी दिन उन्हें प्रमाणपत्र जारी हुआ। यह मामला सामने आने के बाद लोगों में
चर्चा है कि क्या प्रशासन ने बिना जांच के ही प्रमाणपत्र जारी कर दिया या
फिर उसे मंत्री के भाई की आय का पता पहले से था। अल्प आय वर्ग के लिए
आरक्षित पद पर उनकी नियुक्ति के बाद मामला चर्चा में आया था। यह भी सवाल
उठा कि वनस्थली विद्यापीठ में नौकरी करने का तथ्य छुपाने कर प्रमाणपत्र
जारी कराया गया है।
मकान,
संयुक्त प्रापर्टी को लेकर भी कई तरह के सवाल उठे। लेखपाल छोटई प्रसाद ने
भी अलग-अलग बयान दिए। लेखपाल ने यहां तक कह दिया कि वह उस समय संबंधित
क्षेत्र में तैनात ही नहीं थे।
’>>29 नवंबर को बनवाया गया था हलफनामा, उसी दिन मिल गया सर्टिफिकेट
’>>मकान व संयुक्त प्रापर्टी को लेकर कई तरह के उठे सवाल
ईडब्ल्यूएस
प्रमाण पत्र का आवेदन मिलने पर इसकी जांच कराई जाती है। फिर प्रमाण पत्र
जारी किया जाता है। हो सकता हो लेखपाल व कानूनगो ने एक ही दिन जांच कर
रिपोर्ट लगा दी हो। बिना रिपोर्ट के प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है।
उत्कर्ष श्रीवास्तव, एसडीएम
20 मई को बढ़ा कार्यकाल 21 को घोषित हुआ परिणाम
सिद्धार्थ
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे का कार्यकाल 20 मई को
समाप्त हो रहा था। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नए कुलपति की नियुक्ति होने
तक कार्य विस्तार के लिए पत्र जारी कर दिया। इसके बाद महीनों से लंबित
परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया गया। डा. अरुण द्विवेदी के चयन की जानकारी
होते ही विवाद शुरू हो गया।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें