लखनऊ : सरकार की ओर से पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान सिर्फ तीन
शिक्षकों की मौत की जानकारी दिए जाने के बाद इस मुद्दे पर हंगामा खड़ा हो
गया है। शिक्षक संगठनों में सरकार के इस रवैये से जहां उबाल है, वहीं
विपक्षी दलों ने भी सरकार को घेरा है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेशीय
प्राथमिक शिक्षक संघ ने पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से
1621 शिक्षकों-शिक्षणोतर कर्मचारियों की मौत होने का दावा किया है।
उत्तर
प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. दिनेश चंद्र शर्मा ने
सरकार की सूचना को गलत ठहराते हुए कहा कि प्रदेश के पांच लाख प्राथमिक
शिक्षक पंचायत चुनाव में जान गंवाने वाले अपने साथियों की मौत पर खामोश
नहीं रहेंगे। हर स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे। सरकार को चुनौती दी कि तीन
शिक्षकों के अलावा सूची में दिए गए बाकी 1618 शिक्षकों-कर्मचारियों में से
किसी एक को भी वह जिंदा साबित कर दे। उन्होंने कहा कि दरअसल सरकार को यह
इल्म ही नहीं था कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में पंचायत चुनाव कराने पर
उसमें ड्यूटी करने वाले शिक्षकों व अन्य कार्मिकों की इतनी बड़ी संख्या
में मौत हो सकती है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक
शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री और प्रवक्ता डा. आरपी मिश्र ने सरकार के
रवैये को संवेदनहीन बताया और कहा कि शिक्षक महासंघ इसके लिए सड़क पर भी
संघर्ष करेगा। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) के सुशील
पांडेय ने भी चेतावनी दी कि यदि सरकार ने अतिशीघ्र सभी मृत शिक्षकों के
आश्रितों को अनुग्रह राशि के साथ तृतीय श्रेणी की नौकरी नहीं दी तो संगठन
आंदोलन के लिए मजबूर होगा।
गलत सूचनाएं देने वाले
अधिकारियों पर हो कार्रवाई : चुनाव ड्यूटी में सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत
होने के राज्य सरकार के दावे से नाराज कर्मचारी, शिक्षक,अधिकारी एवं
पेंशनर्स अधिकार मंच, उप्र ने गलत जानकारी देने वाले अधिकारियों के खिलाफ
सरकार से कार्रवाई की मांग की है। इस मुद्दे पर बुधवार को हुए वचरुअल
प्रादेशिक संवाद में उप्र प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष
डा. दिनेश चन्द्र शर्मा, कलेक्ट्रेट मिनिस्टीरियल संघ के प्रदेश अध्यक्ष
सुशील कुमार त्रिपाठी, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर
तिवारी, राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कमलेश मिश्र, इंदिरा भवन जवाहर
भवन कर्मचारी महासंघ और राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सतीश कुमार
पांडेय, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामराज दुबे सहित अन्य
कई संगठनों के नेताओं ने सरकार को इस संक्रमण काल में सेवा के दौरान मृत्यु
का शिकार हुए कर्मचारी शिक्षकों के मामले में संवेदनशीलता से विचार करने
और इस सम्बंध में हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप मुआवजा देने तथा गलत सूचना
देने वाले अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है।
वायरल
पत्रों में भी किए गए दावे सरकार की ओर से पंचायत चुनाव ड्यूटी में सिर्फ
तीन शिक्षकों की मौत का दावा सार्वजनिक होते ही शिक्षकों और उनके संगठनों
की ओर से सोशल मीडिया पर ऐसे पत्र वायरल किए जाने लगे जिनमें जिला प्रशासन
या जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले
शिक्षकों की बड़ी संख्या में कोविड से हुई मौतों का ब्योरा दिया है।
समाजवादी
पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उप्र
की निष्ठुर भाजपा सरकार मुआवजा देने से बचने के लिए अब यह झूठ बोल रही है
कि चुनावी ड्यूटी में केवल तीन शिक्षकों की मौत हुई है, जबकि शिक्षक संघ का
दिया आंकड़ा एक हजार से अधिक है। भाजपा सरकार महा झूठ का विश्व रिकॉर्ड
बना बना रही है। मृत शिक्षकों के परिवार वालों का दुख यह हृदयहीन भाजपाई
क्या जानें।
बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती
ने कहा कि ‘उप्र में पंचायत चुनाव की ड्यूटी निभाने वाले शिक्षकों व अन्य
सरकारी कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत की शिकायतें आम हो रही हैं,
लेकिन इनकी सही जांच न होने के कारण उन्हें उचित सरकारी मदद भी नहीं मिल पा
रही है, जो घोर अनुचित है। सरकार इस पर तुरंत ध्यान दे।’
कांग्रेस
महासचिव प्रियंका वाड्रा ने भी ट्वीट कर कहा-‘पंचायत चुनाव में ड्यूटी
करते हुए मारे गए 1621 शिक्षकों की उप्र शिक्षक संघ द्वारा जारी लिस्ट को
संवेदनहीन यूपी सरकार झूठ कह कर मृत शिक्षकों की संख्या मात्र तीन बता रही
है। शिक्षकों को जीते जी उचित सुरक्षा, उपकरण और इलाज नहीं मिला और अब
मृत्यु के बाद सरकार उनका सम्मान भी छीन रही है।’
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