शिक्षक-कर्मचारी पेंशनर्स अधिकार मंच ने कहा है कि प्रदेश में एक बार
फिर शिक्षकों-कर्मचारियों पर एस्मा लगाकर सरकार ने धमकी देने का कार्य किया
है। इस सरकार में लगातार तीन बार कर्मचारी और शिक्षक संगठनों पर एस्मा
लगाई गई है। इतने कम समय में बिना हड़ताल, आंदोलन के नोटिस के एस्मा लगाना
कर्मचारियों के खिलाफ अघोषित इमरजेंसी है। मंच का कहना है कि सरकार एस्मा
के बहाने कर्मचारियों की समस्याओं से निपटने की बजाए अपना कार्यकाल पूरा
करना चाह रही है।
मंच
के अध्यक्ष डॉ. दिनेश शर्मा, महासचिव सुशील कुमार, राज्य कर्मचारी संयुक्त
परिषद अध्यक्ष इंजीनियर हरि किशोर तिवारी ने तीसरी बार जारी एस्मा आदेश का
विरोध दर्ज कराते हुए मुख्य सचिव को पत्र भेजा है। पत्र में लिखा गया है
कि तीसरी बार जारी एस्मा आदेश कर्मचारी संगठनों के मौलिक अधिकारों का हनन
है। इसका हर स्तर पर प्रतिवाद किया जाएगा है। संगठनों का अपनी समस्याएं
कहने का अधिकार प्रत्येक स्तर पर होता है। इस संबंध में हर मुख्य सचिव कड़े
निर्देश जारी करते हैं कि प्रत्येक महीने सभी शीर्ष अधिकारी अपने अधीनस्थ
संगठनों की बात को सुनकर उनका हल निकालें, परंतु प्रदेश का दुर्भाग्य है कि
90 प्रतिशत अधिकारी इस आदेश का पालन नहीं करते। जिसका परिणाम यह है कि
कर्मचारियों समस्याएं बढ़ती जाती हैं।
मीडिया
प्रभारी मनोज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि नई पेंशन व्यवस्था में तमाम
खामियों के कारण 15 वर्षों बाद भी हमारे कर्मचारी, शिक्षक परेशान हैं। कई
ऐसे उदाहरण है कि उन्हें पेंशन के नाम पर कुछ भी हासिल नहीं हो रहा है।
बीते 18 महीने से लगातार एस्मा लगाया जा रहा है। इसे मान्यता प्राप्त संगठन
के लोग अनावश्यक धमकी के रूप में मानते हैं। इस तरह बार-बार एस्मा लगाने
का मतलब सरकार चाहती है कि अब कर्मचारी-शिक्षक अपनी समस्या भी ना उठाएं।
कर्मचारियों को भयभीत करना अलोकतांत्रिक
इंडियन
पब्लिक सर्विस इम्प्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) और राज्य कर्मचारी संयुक्त
परिषद उप्र ने प्रदेश सरकार के छह महीने तक एस्मा लगाने के आदेश को
अलोकतांत्रिक करार दिया है। पदाधिकारियों ने कहा कि यह श्रमिक विरोधी और
संविधान की मूल भावना के विपरीत कदम है। कर्मचारियों को कार्रवाई का भय
दिखाकर उनके हक को मारा जा रहा है। 31 मई को देश व प्रदेश भर के कर्मचारी
कोरोना से शहीद हुए कर्मचारियों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे और इस कानून
का विरोध करेंगे।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद
के महामंत्री अतुल मिश्र, प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि कर्मचारी
पूरे जी-जान से कोविड-19 संक्रमण से देश की जनता को बचाने व उसके उपचार में
लगा हुआ है। जबकि सरकार ने कर्मचारियों को प्रोत्साहन देने की जगह आपस में
बांट दिया है।
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