विश्वविद्यालय में गरीब कोटे में असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी हासिल
करने के मामले में विश्वविद्यालय के जवाब से असंतुष्ट राजभवन ने जब पूरी
चयन समिति को ही तलब कर लिया तो हड़कंप मच गया। इसके बाद मंगलवार की रात में
ही इस्तीफे की रणनीति बन गई थी। बुधवार सुबह ही अरुण की ओर से दोपहर में
दो बजे प्रेसवार्ता के लिए मीडिया को आमंत्रित किया जाने लगा।
भाई
की छवि धूमिल न हो इसलिए दिया त्यागपत्रः प्रेस वार्ता में अरुण पूरी
स्क्रिप्ट लिखकर लाए थे। उन्होंने कहा कि वह सभी अर्हता पूरी करते हैं इसके
बावजूद भाई बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी की छवि धूमिल न हो,
इसलिए त्यागपत्र दे दिया। अरुण ने कहा कि सिद्धार्थ विवि में आवेदन के बाद
में उच्च शिक्षा में सेवारत लड़की से विवाह का प्रस्ताव आने पर अपने जीवन
की बेहतरी के लिए प्रयास किया जिसका अधिकार संविधान भी देता है।
पांचवें
दिन इस्तीफा स्वीकारः डीएम के मुताबिक ईडब्ल्यूएस वित्तीय वर्ष के लिए ही
मान्य होता है। जबकि विश्वविद्यालय में 2019 में जारी प्रमाणपत्र पर 2021
में नियुक्ति हुई।
इस पर कुलपति प्रो. सुरेंद्र
दुबे ने बताया था कि आवेदन के समय प्रमाणपत्र वैध है। गरीब कोटे से
नियुक्ति का मामला खुलने के बाद चार दिन तक कुलपति सत्यापन कराने की बात
कहते रहे लेकिन जब राजभवन का रुख सख्त हुआ तो चार मिनट भी इस्तीफा
स्वीकारने में नहीं लगे । इस पर कुलपति ने सिर्फ इतना कहा कि अरुण का
इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है।
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