प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी के भाई का सिद्धार्थ
विश्वविद्यालय कपिलवस्तु में मनोविज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर
जिस ईडब्लूएस कोटे से हुई नियुक्ति की वैधता पर ही सवाल उठने लगा है। जिस
लेखपाल के रिपोर्ट के आधार पर मंत्री के भाई डा. अरुण द्विवेदी को ईडब्लूएस
का प्रमाण पत्र जारी किया गया है, उस लेखपाल ने बताया उस समय वह उस ग्राम
सभा में तैनात ही नहीं था। ऐसे में प्रमाण पत्र की वैधता ही संदिग्ध हो
गयी।
बेसिक
शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश दिवेदी का गांव चकबन्दी प्रक्रिया में है, ऐसी
स्थिति में मंत्री के भाई अरुण द्विवेदी को ईडब्लूएस का प्रमाण पत्र जारी
किए जाने के मामले में जब इटवा तहसीलदार अरविंद कुमार से बात की गई तो
उन्होंने बताया कि चकबंदी प्रकिया के दौरान प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता
है, इसके लिए आवदेक को जमीन का कागजात व नोटरी बयान हल्फी देना होता है,
जिसके आधार पर लेखपाल द्वारा रिपोर्ट लगवाकर ईडब्लूएस का प्रमाण पत्र जारी
किया गया है। जबकि लेखपाल छोटई प्रसाद
का कहना है नवम्बर
2019 में जब उस ग्राम सभा मे तैनात ही नहीं था तो ईडब्लूएस का प्रमाण पत्र
जारी करने लिए हस्ताक्षर कैसे कर सकते है। उस समय कोई और तैनात था ।
जबकि
उपजिलाधिकारी इटवा उत्कर्ष श्रीवास्तव का कहना है मंत्री के भाई को लेखपाल
छोटई के रिपोर्ट के आधार पर ही ईडब्लूएस प्रमाण पत्र जारी किया गया था।
तहसीलदार अरविंद कुमार का कहना है कि बिना लेखपाल के रिपोर्ट के आधार पर
प्रमाण पत्र जारी ही नहीं हो सकता है । सवाल यह उठ रहा है कि इटवा तहसील
प्रशासन झूठ बोल रहा है या लेखपाल ।
फिलहाल लेखपाल छोटई के बयान से मामला और पेंचीदा हो चला है ।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें