सिद्धार्थनगर: प्रेस कांफ्रेंस में डा. अरुण ने कहा कि मेरी
नौकरी बड़े भाई की प्रतिष्ठा से बढ़कर नहीं है। गरीब ब्राह्मण होना भी
अभिशाप है। मेरे चयन से भाई का नाम जोड़कर उन्हें बदनाम किया जा रहा है।
मेरे कारण भाई की प्रतिष्ठा पर आंच न आए, इसलिए इस्तीफा दे दिया। कुलपति ने
इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। डा. अरुण ने कहा कि मेरा चयन मेरिट पर हुआ
था। मैं मनोविज्ञान में पीएचडी हूं। मेरे 17 पेपर पब्लिश हुए हैं। पुस्तकों
का संपादन किया है। नवंबर 2019 में आर्थिक स्थिति के अनुसार ईडब्ल्यूएस
प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया था। सेवारत युवती से विवाह का प्रस्ताव आया
तो अपने जीवन की बेहतरी के लिए किया। इसके बाद डा. अरुण चले गए और किसी के
सवालों का जवाब नहीं दिया। उधर, कुलपति डा. सुरेंद्र दुबे ने बताया कि डा.
अरुण का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है।
लेकिन
सवालों के जवाब बाकी : डा. अरुण के भाई ने भले ही प्रेस कांफ्रेंस में
अपने इस्तीफे की जानकारी दी हो, लेकिन कमजोर आर्य वर्ग के प्रमाणपत्र से
जुड़े सवाल अनुत्तरित रह गए। डा. अरुण वनस्थली में कबसे पढ़ा रहे थे, उनका
वेतन कितना था, उनकी अन्य आय क्या थी, जैसे सवालों के जवाब देने से पहले ही
वह प्रेस कांफ्रेंस से चले गए। भले ही आम आदमी को प्रमाणपत्र के लिए कई
दिन इंतजार करना पड़े, बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी के भाई डा.
अरुण द्विवेदी का ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र आवेदन के दिन ही जारी हो गया था।
डा. अरुण इसी प्रमाणपत्र के आधार पर सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट
प्रोफेसर नियुक्त हुए थे। उन्होंने 29 नवंबर 2019 को नोटरी बयानहल्फी
बनवाई थी। उसी दिन ही प्रमाणपत्र भी जारी हुआ।
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