प्रयागराज : उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की भर्ती परीक्षाओं व
परिणाम की जांच कर रही सीबीआइ की कार्यप्रणाली अत्यंत सुस्त रही है। करीब
चार साल से जांच कर रही सीबीआइ अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची। न ही
किसी की गिरफ्तारी हुई। बीते महीने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने
सीबीआइ को जल्द जांच पूरी करने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद प्रभावी
कार्रवाई नहीं हुई। इधर, आयोग के नए अध्यक्ष संजय श्रीनेत ने कार्यभार
ग्रहण किया है। इसके पूर्व प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में नार्दन रीजन के
स्पेशल डायरेक्टर रहे श्रीनेत ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है।
उनके आने से प्रतियोगियों में सीबीआइ जांच में तेजी आने की उम्मीद जगी है।
योगी
सरकार ने 20 जुलाई 2017 को उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की 2012 से 2016 तक
की समस्त भर्ती परीक्षाओं व परिणामों की जांच सीबीआइ से कराने की घोषणा
किया था। केंद्र सरकार ने 21 नवंबर 2017 को उसकी अधिसूचना जारी की। इसके
तहत सीबीआइ को 598 के लगभग भर्ती परीक्षाओं व परिणामों की जांच करनी है।
इसमें करीब 40 हजार चयनित प्रभावित हो रहे हैं। सीबीआइ ने पांच मई 2018 को
पीसीएस 2015 में गड़बड़ी के मामले में एफआइआर दर्ज कराई। फरवरी 2019 में
एपीएस-2010 भर्ती में पीई दर्ज कराई गई। इसके बाद जुलाई 2020 में
आरओ-एआरओ-2013, लोवर-2013 व उत्तर प्रदेश प्रांतीय न्यायिक सेवा-2014,
मेडिकल अफसर परीक्षा-2014 में पीई दर्ज किया। लेकिन, अभी तक किसी की
गिरफ्तारी नहीं हुई है।
सीबीआइ जांच की पैरवी
करने वाले प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय कहते हैं
कि नए अध्यक्ष के आने से कार्रवाई तेज होने की आस जगी है। प्रतियोगियों को
विश्वास है कि आयोग व सीबीआइ बेहतर तालमेल बनाकर दोषियों के खिलाफ जल्द
कार्रवाई करेंगे। अगर ऐसा न हुआ तो प्रतियोगी आंदोलन को बाध्य होंगे।
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