लखनऊ। राज्य सरकार द्वारा कोरोना से मृत्यु का शिकार हुए तीन के आँकड़े
से नाराज कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच के नेताओं ने
गलत जानकारी देने वाले अधिकारियों के खिलाफ सरकार से कार्रवाई की मांग करते
हुए अपनी मंशा स्पष्ट करने की मांग की है। मंच के प्रांतीय पदाधिकारियों
ने बुधवार को कहा कि सरकार के आदेश को मानते हुए प्रदेश के शिक्षक और
कर्मचारी चुनाव डियुटी
विधायक
को किसी दौरे के दौरान मृत्यु पर पांच करोड़ मिलेगा कहा जाए तो क्या वह उस
दौरे को करेगा? उन्होंने कहा कि जो शिक्षकों को मृत्यु का आंकड़ा शासन ने
जारी किया है उसे केवल झांसी के जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा जारी झांसी
में कोरोना से मृत्यु का शिकार हुए कर्मचारी शिक्षकों की सूची ही साबित कर
रही है। आठ मई को जारी इस सूची में जिला निर्वाचन अधिकारी ने मृतक शिक्षकों
की संख्या दस बताई है। इसी तरह 6 मई को सोनभद्र जिले को शिक्षकों को
मृत्यु को अधिकारिक रिपोर्ट फिर कल 3 को सूचना कैसे दी गई। नेताओं ने एक घर
में कहा कि अगर शिक्षक कर्मचारी के दुखद मृत्यु को लेकर इस तरह की ऑकड़बाजी
का खेल किया गया तो आन्दोलन करने और न्यायालय जाने के लिए अधिकार मंच
मजबूर होगा। बुधवार को वर्चुअल प्रादेशिक संवाद उत्तर प्रदेश प्राथमिक
शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. दिनेश चन्द्र शर्मा, कलेक्ट्रेट
मिनिस्टिीरियल संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील
कुमार त्रिपाठी,
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी, राज्य कर्मचारी
महासंघ के अध्यक्ष कमलेश मिश्रा, इन्दिरा भवन-जवाहर भवन कर्मचारी महासंघ और
राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सतीश कुमार पाण्डेय, चतुर्थ श्रेणी
कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामराज दुबे सहित अन्य कई संगठनों के नेताओं ने
सरकार को इस संक्रमण काल में सेवा करने के दौरान मृत्यु का शिकार हुए
कर्मचारी शिक्षकों के मामले में संवेदनशीलता से विचार करने और इस सम्बंध
में हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप मुआवजा देने तथा गलत सूचना देने वाले
अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की मांग को है। वर्चुअल संवाद में हरिकिशोर
तिवारी ने कहा कि सरकार के आधिकारिक तौर पर शिक्षा विभाग द्वारा कोरना के
कारण पंचायत चुनाव ड्यूटी में पूरे प्रदेश में शिक्षकों की संख्या तीन
दिखाई गई है। इस प्रकार के आंकड़े देने वाले अधिकारी और कर्मचारी इस
महामारी काल में शिक्षक समाज के लिए
संवेदनशील नहीं माने जा
सकते हैं। ऐसा लगता है कि इन अधिकारियों को लगाकर सरकार मृतकों को किए गए
आदेशों का भो लाभ इन अधिकारियों द्वारा नहीं दिलाना चाहती है। उन्होंने कहा
जबकि हम लोगों के पास सूचना उपलब्ध है इसके लिए हम संगठनों को एकजुट होकर
सरकार और इन अधिकारियों से दो टूक भाषा में लड़ना होगा। और मृतकों को
संवेदनशीलता के साथ हक दिलाना होगा। उन्होंने बताया कि एक लिस्ट झांसी की
मृत्यु के कर्मचारियों और शिक्षकों की हमारे पास है जो 8 मई को जारी हुई
है। जिसमें 10 शिक्षक ऐसे हैं जो ऑन ड्यूटी सरकारी तंत्र ने माने हैं कि
उनकी मृत्यु हुई है जबकि आज की तारीख में संख्या बहुत अधिक होगी। फिर कल
जारी सूची में पूरे प्रदेश में 3 लोगों को मानकर एक हास्यास्पद स्थिति पैदा
की गई है। ऐसे में आरोप है कि अधिकारी गुमराह करके सरकार से मिलीभगत करके
जो जायज सहायता राशि है यह भी नहीं देना चाहते हैं।
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