उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.
सतीश द्विवेदी के भाई डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी ने बुधवार को सिद्धार्थ
विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु में असिस्टेंट प्रोफेसर पद से इस्तीफा दे दिया
है। उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा देने की बात कही है। हालांकि
सीएम योगी आदित्यनाथ के सिद्धार्थनगर दौरे से पहले शिक्षा मंत्री के भाई
का इस्तीफा डैमेज कंट्रोल के रूप में भी देखा जा रहा है। सीएम योगी गुरुवार
को कोविड प्रबंधन की समीक्षा के लिए सिद्धार्थनगर जा रहे हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र दुबे ने उनका इस्तीफा स्वीकार
भी कर लिया है। सिद्धार्थनगर के सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में मंत्री के
भाई की नियुक्ति अल्प आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे से हुई थी। उनकी नियुक्ति
को लेकर इंटरनेट मीडिया पर लगातार सवाल उठाए जा रहे थे। विवादों में घिरने
के बाद उन्होंने यह कदम उठाया है।
सिद्धार्थ
विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु में असिस्टेंट प्रोफेसर पद से इस्तीफा देने
के बाद डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी ने प्रेस वार्ता कर इस बात की जानकारी
मीडिया को दी। इस दौरान वह भावुक होकर बोले कि मेरे लिए मेरा परिवार
सर्वोपरि है। मेरे चयन के चलते मेरे भाई पर अनर्गल आरोप लगातार लगाए जा रहे
थे, इससे आहत होकर मैंने सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के कुलपति
सुरेंद्र दुबे को असिस्टेंट प्रोफेसर पद से इस्तीफा सौप दिया है।
यूपी
सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी के सगे भाई डॉ. अरुण
कुमार की नियुक्ति सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी कपिलवस्तु में मनोविज्ञान विभाग
में हुई थी। लेकिन, इनकी नियुक्ति विवादों के घेरे में आ गई, जिसके बाद से
लगातार जांच की मांग की जा रही थी। डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी पर आरोप है कि
उन्होंने अपनी पत्नी के भी नौकरी में रहते हुए और उन्हें करीब 70 हजार
रुपये मासिक से ज्यादा वेतन मिलते हुए गलत ढंग से ईडब्लूएस सर्टिफिकेट
हासिल किया था। डॉ. अरुण भी पूर्व में वनस्थली विश्वविद्यालय में नौकरी
करते थे।
अधिवक्ता और सोशल
एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने पूरे मामले की जांच करवाने की मांग करते हुए कहा
था कि डॉ. अरुण की नियुक्ति अल्प आय वर्ग कोटे से हुई है। डॉ अरुण वनस्थली
विद्यापीठ राजस्थान में भी प्रोफेसर थे। साथ ही वह शिक्षा मंत्री के भाई भी
हैं। ऐसे में उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए गरीबी के प्रमाण पत्र पर सवाल
खड़े होते हैं। नूतन ठाकुर ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को इस संबंध में
साक्ष्यों के साथ पत्र लिखा। इसके बाद राजभवन ने पूरे विवाद में हस्तक्षेप
करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र जारी कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा
था।
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री
(स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश द्विवेदी सिद्धार्थनगर जिले की इटवा सीट से
विधायक हैं। उनके भाई का चयन सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु में
मनोविज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर हुआ था। 21 मई को अरुण के
विश्वविद्यालय में ज्वाइन करने के बाद से ही सोशल मीडिया पर तमाम पोस्ट
वायरल हो रहे हैं। विपक्षी दल इसे गरमाने में जुटे थे तो आम आदमी पार्टी के
नेताओं ने बकायदा इस पर आंदोलन शुरू कर दिया था। इस बीच राजभवन ने भी
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति से पूरे मामले में जवाब-तलब किया था।
अरुण
द्विवेदी का अल्प आय वर्ग प्रमाणपत्र वर्ष 2019 में जारी हुआ था। इसी आधार
पर उन्हें 2021 में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में नौकरी मिली। भाई की
नियुक्ति को लेकर छिड़े विवाद पर मंत्री सतीश द्विवेदी ने सफाई देते हुए
कहा था कि जिसे भी इस बारे में आपत्ति हो वो जांच करवा सकता है। उन्होंने
कहा था कि एक अभ्यर्थी ने आवेदन किया और विश्वविद्यालय ने निर्धारित
प्रक्रिया का पालन करते हुए चयन किया है। इस मामले में न मेरा कोई
हस्तक्षेप है और न कोई लेना देना है। किसी को कोई आपत्ति हो तो जांच करा कर
सकता है। मैं विधायक और मंत्री हूं लेकिन मेरी आर्थिक स्थिति से मेरे भाई
को आंकना उचित नहीं है।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें