नई दिल्ली : बारहवीं की बोर्ड परीक्षा को लेकर ज्यादातर राज्य अपने
पुराने रुख पर कायम हैं। वे परीक्षाएं कराने के पक्ष में हैं, लेकिन उसके
पैटर्न और समय को लेकर असहज हैं। इसके लिए विशेषज्ञों की टीमें गठित की जा
रही हैं। फिलहाल राज्यों को केंद्र के रुख का इंतजार है। मिल रहे संकेतों
के मुताबिक केंद्र सरकार 30 मई तक ही पूरी स्थिति स्पष्ट कर सकती है।
परीक्षाओं
को लेकर राज्यों की यह असहजता उनकी ओर से मिले सुझावों में सामने आई है।
ज्यादातर राज्यों ने शिक्षा मंत्रलय से परीक्षाओं को लेकर पैदा हुई इस उलझन
का जल्द ही पटाक्षेप करने की मांग भी की है। यही वजह है कि शिक्षा मंत्रलय
भी इस काम को तेजी से अंजाम देने में जुटा है।
इस
बीच, राज्यों से 25 मई तक मांगे गए सुझावों का बारीकी से अध्ययन किया जा
रहा है। सूत्रों के मुताबिक राज्यों के सुझावों को अगले एक-दो दिन में ही
पीएमओ के साथ साझा किया जाएगा। खास बात यह है कि कोरोना के चलते छात्रों का
एक बड़ा वर्ग इस समस्या से परेशान है। वह जल्द ही असमंजस से मुक्त होना
चाहता है। केंद्र सरकार भी इस असमंजस को जल्द खत्म करना चाहती है। वैसे ही
मौजूदा समय में जेईई मेंस, जेईई एडवांस, नीट जैसे प्रतियोगी परीक्षाएं फंसी
हुई हैं। इन परीक्षाओं में बारहवीं बोर्ड की परीक्षा देने वाले छात्र ही
हिस्सा लेते हैं जिनकी संख्या लाखों में होती है।
अधिकारियों
के मुताबिक बारहवीं की बोर्ड परीक्षा को लेकर जो भी घोषणा या गाइडलाइन
जारी की जाएगी, वह सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) को लेकर ही
होगी। राज्यों को इन विकल्पों को चुनने की पूरी आजादी होगी। हालांकि रक्षा
मंत्री की अगुवाई में 23 मई को हुई बैठक में भी ज्यादातर राज्यों ने जिस
तरह से सीबीएसई की ओर से सुझाए गए दो विकल्पों में से दूसरे विकल्प को लेकर
सहमति जताई थी, उससे साफ है कि वे फिलहाल केंद्र की तय योजना के साथ ही
आगे बढ़ना चाहते हैं। पहले विकल्प में मुख्य विषयों की परीक्षा कराने और
उसी आधार पर शेष विषयों का मूल्यांकन करना था। दूसरे विकल्प में मुख्य
विषयों की वस्तुनिष्ठ परीक्षा कराने और उसका समय डेढ़ घंटे रखने का सुझाव
है। सीबीएसई अपनी योजना को अंतिम रूप दे रहा है। शिक्षा मंत्रलय की घोषणा
के बाद वह इसे तुरंत जारी भी कर देगी।
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