लखनऊ। उन छात्र-छात्राओं के लिए राहत भरी खबर है, जिन्हें डाटा मिसमैच
के चलते पिछले वित्त वर्ष में शुल्क भरपाई नहीं हो सकी थी। इन्हें भुगतान
के लिए समाज कल्याण निदेशालय प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इनकी संख्या करीब
65 हजार है।
यह
छात्र अनुसूचित जाति व सामान्य वर्ग के हैं। बताते हैं कि इन्होंने
छात्रवृत्ति की वेबसाइट पर पिछली कक्षा के अपने अंकों को अपलोड किया था,
लेकिन शिक्षण संस्थानों ने अपनी ऑनलाइन रिपोर्ट में इन अंको को गलत ढंग से
'जीरो- जीरो अपलोड कर दिया। नतीजतन
डाटा का मिलान न होने के कारण सॉफ्टवेयर ने इन छात्रों को रिजेक्ट श्रेणी में डाल दिया। इसलिए इन्हें भुगतान नहीं हो पाया।
इन
छात्रों ने अपनी शिकायत उच्चस्तर पर दर्ज कराई। कहा कि पात्र होने के
बावजूद उन्हें भुगतान नहीं हुआ। समाज कल्याण निदेशालय के सूत्रों के
मुताबिक, इस तरह के छात्रों को भुगतान के लिए उच्च स्तर पर सहमति बन चुकी
है।
इसके अलावा निजी शिक्षण संस्थानों के उन
छात्रों के प्रत्यावेदनों पर भी विचार किया जाएगा, जो पिछले वित्त वर्ष में
अपने पाठ्यक्रम के द्वितीय वर्ष के छात्र थे, लेकिन नई कैटेगरी में आवेदन
करने के कारण उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल सका। इसकी वजह उनके संस्थान को
एनबीए या नैक की मान्यता का न होना था, लेकिन यह नियम सिर्फ प्रथम वर्ष के
छात्रों के लिए ही लागू किया गया था। पहले से योजना का लाभ ले रहे छात्रों
को इस पाबंदी के दायरे से बाहर रखा
गया था।
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