प्रयागराज : प्रदेश के माध्यमिक कालेजों में विवाद खत्म होने का
नाम नहीं ले रहा है। नौवीं परीक्षा के विषयवार अंक मांगने पर कालेज यह तर्क
देने लगे थे कि 13 अप्रैल 2020 को प्रमोट करने का शासन ने आदेश दिया था।
बोर्ड ने जब कालेज संचालकों व जनप्रतिनिधियों से पूछा कि सत्र तो मार्च
2020 में ही पूरा हो गया था तो वे प्रमोट करने का इंतजार क्यों कर रहे थे?
उन्होंने शैक्षिक सत्र के अनुसार परीक्षा क्यों नहीं कराई तब कालेज अंक भेज
रहे हैं। अब आनलाइन कक्षाएं शुरू होने पर सवाल उठ रहा है कि शासन ने
हाईस्कूल व इंटर पर अधिकृत तौर पर फैसला नहीं किया है तो वे किस कक्षा की
पढ़ाई करें?
स्कूल-कालेजों
में आनलाइन कक्षाएं शुरू करने से मोबाइल न होने व अन्य कई तरह की दिक्कतें
तो आ रही हैं सबसे अधिक परेशानी 56 लाख से अधिक परीक्षार्थियों के सामने
है। पिछले एक सप्ताह में यूपी बोर्ड ने जिस तरह से जिला विद्यालय
निरीक्षकों से पत्रचार किया है और पहले हाईस्कूल की छमाही व प्रीबोर्ड और
बाद में नौवीं के विषयवार अंक मांगे गए, उससे स्पष्ट है कि शासन सीबीएसई की
तर्ज पर हाईस्कूल में छात्र-छात्रओं को प्रमोट करने जा रहा है। साथ ही
शासन की ओर से जल्द इस पर निर्णय लेने के संकेत दिए गए हैं। 10वीं व 12वीं
के परीक्षार्थी अब तक अपनी तैयारियों में जुटे थे, लेकिन, नए शैक्षिक सत्र
के लिए अब आनलाइन कक्षाएं शुरू होने से वे और उनके शिक्षक तक परेशान हैं कि
आखिर किस कक्षा की तैयारी करें या कराएं? इतना ही नहीं शासन ने अन्य
कक्षाओं में भी प्रमोट करने या फिर परीक्षा कराने जैसा निर्णय नहीं किया
है। शिक्षक खुलकर बोल नहीं रहे और परीक्षार्थी असमंजस का शिकार हैं।
शासन ने हाईस्कूल व इंटर पर अधिकृत तौर पर फैसला,नहीं किया है तो वे किस कक्षा की पढ़ाई करें?, उठ रहा है कि सवाल
मेधावियों को मिलेगा मौका
यूपी
बोर्ड हाईस्कूल के परीक्षार्थियों के प्रमोट होने पर सबसे अधिक चिंतित
मेधावी छात्र-छात्रएं हैं कि उन्हें कैसे अंक मिलेंगे। इस पर यूपी बोर्ड
सीबीएसई की तरह से यह निर्णय ले सकता है कि यदि कोई मेधावी अपने अंकों से
संतुष्ट नहीं है तो लिखित परीक्षा दे दे। अन्य कई ¨बदुओं पर मंथन चल रहा
है।
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