प्रयागराज : उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा का प्रमाणपत्र आजीवन मान्य होने से 21 लाख से अधिक अभ्यर्थियों को लाभ मिला है। ये अभ्यर्थी प्रदेश में अब तक हुई आठ परीक्षाओं में शामिल होकर उत्तीर्ण हुए थे। अब वे शिक्षक भर्ती की अगली परीक्षाओं में शामिल हो सकते हैं, बशर्ते उनकी आयु अर्हता के अनुरूप हो। मानक से अधिक आयु वाले अभ्यर्थियों को लाभ नहीं मिल सकेगा।
प्राथमिक
स्कूलों की शिक्षक भर्ती में आवेदन करने वालों के लिए टीईटी उत्तीर्ण होना
अनिवार्य है। ये प्रमाणपत्र केंद्र का हो या फिर राज्य का। वहीं, बेसिक
शिक्षा परिषद के स्कूलों के शिक्षकों की पदोन्नति में भी हाई कोर्ट ने इस
प्रमाणपत्र को अहम बताया है। एनसीटीई के निर्देश पर टीईटी की शुरुआत 2011
में हुई थी, तब से राज्य में भी यह परीक्षा हो रही है। केंद्र सरकार साल
में दो बार, जबकि प्रदेश सरकार वर्ष में एक बार परीक्षा कराती रही है। केवल
2012 में इम्तिहान नहीं हुआ। प्रमाणपत्र आजीवन वैध होने से इस बार आवेदकों
की संख्या में कमी आएगी।
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