आनलाइन पढ़ाई को प्रभावी बनाने के लिए बुधवार को आनलाइन बैठक हुई। इसमें जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य संतोष मिश्र के साथ सभी अकादमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी), स्टेट रिसोर्स ग्रुप (एसआरजी) व डायट मेंटर भी शामिल हुए। ई पाठशाला को प्रभावी बनाने के साथ चुनौतियों और सुझाव पर भी मंथन हुआ।
डायट
प्राचार्य ने निर्देशित किया कि सभी शिक्षक ऐसे अध्यापकों की सूची बनाएं
जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं हैं। ऐसे अभिभावकों की भी सूची बनाएं जिनके पास
स्मार्ट फोन तो है पर वह बच्चों को पढ़ाई के लिए नहीं देते हैं। इन
अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें बच्चों की पढ़ाई के प्रति प्रेरित करने व
आनलाइन पढ़ाई में सहयोग का भी आग्रह किया जाएगा। जो पाठ्य सामग्री बच्चों
तक भेजी जा रही है उन्हें शिक्षक भी स्वयं भली प्रकार समझ लें और जरूरत के
अनुसार भौतिक रूप से भी बच्चों व अभिभावकों से संपर्क करें। किसी भी हाल
में पढ़ाई बाधित नहीं होनी चाहिए। समन्वयक प्रशिक्षण डा. विनोद मिश्र ने
कहा कि अध्यापक ई पाठशाला का कक्षावार राजिस्टर बनाएं। बच्चों से संपर्क भी
करें और कार्ययोजना बनाकर पाठन पाठन करें। दीक्षा एप पर अपलोड शैक्षिक
सामग्री भी जरूर दिखाएं। प्रेरणा साथी के चयन के लिए भी सुझाव दिए गए। कहा
गया कि बीटीसी इंटर्न, कोचिंग पढ़ाने वाले युवाओं व अन्य शिक्षा से जुड़ने
के इच्छुक लोगों को प्रेरक के रूप में चुना जाए। इस मौके पर डा. प्रशांत
कुमार ओझा ने भी पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के जरिए भी महत्वपूर्ण जानकारी
दी। इस मौके पर सुनील तिवारी, वंदना श्रीवास्तव आदि शिक्षक मौजूद रहे।
जासं,
प्रयागराज : कोरोना काल में सभी स्कूलों में आनलाइन पढ़ाई चल रही है लेकिन
यह बच्चों के लिए मुश्किल भी खड़ी कर रही है। इन कक्षाओं में टीचर अपने
वीडियो और नोट्स तो वाट्सएप ग्रुप पर भेज देते हैं लेकिन विद्यार्थियों को
उनके प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल रहे।
वजह यह कि
कक्षाओं में टीचर या तो प्रश्न नहीं पूछने देते या प्रश्नों पर ध्यान नहीं
दिया जाता। कई बार नेटवर्क की भी समस्या खड़ी हो जाती है जिससे शिक्षकों तक
बच्चों की बात पहुंच ही नहीं पाती। कुछ जगहों पर तो बच्चों को प्रश्न
पूछने की अनुमति ही नहीं होती है।
’बिना स्मार्टफोन वाले शिक्षकों अभिभावकों की बनाएंगे सूची
’शिक्षक भौतिक रूप से करें बच्चों-अभिभावकों से संपर्क
बच्चों
की आनलाइन पढ़ाई में सिर्फ टीचर अपनी बात कहती हैं। विषय को लेकर बच्चे
कुछ भी सवाल नहीं कर पा रहे हैं। न उन्हें प्रश्न पूछने की कोई छूट है।
सिर्फ नोट्स दे कर जिम्मेदारी पूरी की जा रही है।
दीनानाथ यादव, रामबाग
बच्चों
को नेटवर्क की समस्या से जूझना पड़ रहा है। कोई भी विषय पढ़ाने के बाद
टीचर उसे अपने से समझने के लिए बोले रहे हैं। बच्चे अपनी समस्या किससे और
कहां कहें कुछ समझ में नहीं आ रहा।
धर्मेश उपाध्याय, झूंसी
आनलाइन
पढ़ाई में बच्चों की आंखें लाल हो जा रही हैं। पानी गिरने की समस्या हो
रही है। विषय भी ठीक से नहीं समझ में आ रहा है। विषय को लेकर प्रश्न करने
की बच्चों को कोई इजाजत नहीं होती।
नीलम शुक्ला, अल्लापुर
आनलाइन
क्लास में एक तरफा संवाद हो रहा है। बच्चों को बोलने की अनुमति नहीं रहती।
इसकी वजह से विषय समझना कठिन हो रहा है। बच्चों की बात सुनने के लिए टीचर
के पास समय ही नहीं होता।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें