बरेली, : सरकारी काम के लिए आमजन को ही नहीं बल्कि सरकारी कर्मचारियों
को भी विभाग के चक्कर काटने पड़ते हैं। ऐसा ही एक ताजा मामला सामने आया है
कि कांधरपुर उच्च प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका शबीना परवीन का।जो
छह सालों से प्रोत्साहन राशि पाने को छह साल पत्र लिखने के साथ ही विभागीय
अधिकारियों से गुहार लगा रही हैं। उनका कहना है कि भले ही अंतिम सांस तक
लड़ना पड़े लेकिन, न्याय पाने के लिए दौड़ती रहूंगी।
दरअसल,
शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए 2014 में
प्रधानाध्यापिका का नाम राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित किया गया था।
वर्ष 2015 में उन्हें यह पुरस्कार मिला। ऐसे में उनके द्वारा शासनादेश के
मुताबिक सम्मानित होने के अगले वर्ष यानी 2016 के बराबर प्रोत्साहन राशि
देने की मांग की जा रही हैं। लेकिन, विभागीय अधिकारियों के गणित के हिसाब
से उन्हें वर्ष 2015 के आधार पर 680 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में वह कई सालों से पत्र लिखकर दे रही हैं लेकिन अब तक किसी तरह की कोई सुनवाई नहीं हो सकी है।
नियमानुसार
वेतन वृद्धि कर लाभ दिया जा रहा है। कुछ महीने पहले तक उन्हें सिर्फ पांच
सौ ही प्रोत्साहन राशि मिल रही थी, जिसे बढ़ाकर अब उन्हेंं 680 रुपये दिए
जा रहे हैं।- योगेश कुमार, वित्त व लेखाधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा विभाग
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