यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते आने वाले दिनों में वैश्विक परिदृश्य कैसा होगा यह तो अभी भविष्य के गर्त में छुपा हुआ है लेकिन इसने पाबंदियों में जकड़े देश के उच्च शिक्षा के ढांचे को जरूर झकझोर दिया है। साथ यह सोचने पर विवश किया कि जब यूक्रेन जैसा देश दूसरे देशों के बच्चों को उच्च शिक्षा देने का एक मजबूत ढांचा खड़ा कर सकता है, तो फिर हम क्यों नहीं। खुद प्रधानमंत्री ने भी यह चिंता जाहिर की। अब इसका असर होता दिख रहा है।
शिक्षा
मंत्रलय ने विश्वविद्यालयों सहित दूसरे सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से
दाखिले के दबाव को खत्म करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। आने वाले
दिनों में सभी संस्थानों में मांग के मुताबिक पर्याप्त सीटें बढ़ाने की
तैयारी है। शिक्षा मंत्रलय का फोकस मेडिकल, इंजीनियरिंग सहित ऐसे सभी
कोर्सों को लेकर है, जिनकी देश-विदेश में भारी मांग है। साथ ही जिन कोर्सो
में दाखिले को लेकर छात्रों का दबाव है। इनमें विश्वविद्यालयों व कालेजों
में पढ़ाए जाने वाले वे सामान्य कोर्स भी शामिल हैं, जिनमें दाखिला न मिलने
के चलते छात्र पढ़ाई छोड़ देते हैं। देश में इस समय उच्च शिक्षा की सकल
नामांकन दर (जीईआर) करीब 27 प्रतिशत ही है। जिसे शिक्षा मंत्रलय ने वर्ष
2022 तक 30 प्रतिशत और 2035 तक 50 प्रतिशत पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
मंत्रलय से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक अगले 20 साल को लक्ष्य कर
उच्च शिक्षण संस्थानों में सीटों को बढ़ाने से जुड़ी योजना पर काम शुरू कर
दिया है। इसके तहत अगले पांच सालों में ही मौजूदा सीटों के मुकाबले करीब
पचास प्रतिशत तक बढ़ोतरी करने की तैयारी है। यूक्रेन युद्ध के दौरान करीब
23 हजार फंसे भारतीय छात्रों को निकाला गया था। इनमें से ज्यादातर वहां
मेडिकल की पढ़ाई करने गए थे। इनमें ज्यादातर ऐसे छात्र थे, जिन्होंने देश
में दाखिला न मिलने के चलते या फिर यूक्रेन में सस्ती पढ़ाई को देख वहां
दाखिला लिया था। इतना ही नहीं, देश से हर साल लाखों की संख्या में छात्र
उच्च शिक्षा के लिए विदेश का रुख करते हैं।
आइआइटी
की 16 हजार सीटों के लिए करीब नौ लाख छात्र दावेदार : आइआइटी में दाखिले
के लिए देश के करीब नौ लाख छात्र हर साल जेईई में बैठते हैं, जबकि उनमें
मौजूदा समय में करीब 16 हजार सीटें है। ऐसा ही हाल विश्वविद्यालयों सहित
दूसरे उच्च शिक्षण संस्थानों का हैं, जहां सीटों की संख्या के मुकाबले कई
गुना ज्यादा छात्र दाखिले के लिए आवेदन करते हैं।
’>>अगले पांच सालों में करीब पचास फीसद तक बढ़ोतरी की तैयारी
’>>योजना में इंजीनियरिंग, मेडिकल सहित सभी विवि व कालेज शामिल
जेईई सहित विश्वविद्यालयों के दाखिले में छात्रों की भारी भीड़
देश
के उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले की समस्या कितनी भयावह है इसका
अंदाजा जेईई और विश्वविद्यालयों के दाखिले को लेकर छात्रों की हर साल
उमड़ने वाली भीड़ से लगाया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक आइआइटी में
दाखिले के लिए होने वाली परीक्षा जेईई में हर साल करीब नौ लाख छात्र हिस्सा
लेते है। सरकारी कालेजों में 50 हजार छात्रों को ही दाखिला करीब मिलता है।
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