गाजीपुर: आपने शायद ही कोई ऐसा स्कूल देखा होगा, जहां शिक्षिकाएं व शिक्षण कर्मचारी तो हैं, लेकिन एक भी बच्चा नहीं हैं। महीने में सरकार से तीन लाख रुपये लेती हैं।
वर्ष
2009-10 में शासन ने उच्च प्राथमिक विद्यालय भिक्खेपुर को उच्चीकृत कर
राजकीय हाईस्कूल कर दिया था। तब से यहां कक्षा नौ व दस की पढ़ाई होती है।
पिछले एक दशक की पढ़ाई पर डालें तो यहां दोनों कक्षाओं को मिलाकर छात्रों
की संख्या दस रही है, जबकि शिक्षक-शिक्षिकाओं की तैनाती पूरी रही है।
मौजूदा समय में आयोग से कनिका सिंह, सिंधु कुमारी, रीना यादव के अलावा
प्रधानाध्यापिका सुमनलता व लिपिक सुनील सिंह कुशवाहा की तैनाती है।
लेकिन
चालू सत्र में एक भी विद्यार्थी नहीं है। प्रति महीने सरकार वेतन पर करीब
तीन लाख रुपये खर्च कर रही है, जबकि मौजूदा समय में स्कूल में एक भी बच्चा
शिक्षा ग्रहण नहीं कर रहा है। पिछले साल आयोग से तैनात शिक्षिकाओं-बाबू और
प्रधानाध्यापिका ने आपसी खींचतान के बाद इस साल अभी तक किसी अभिभावक ने
अपने बच्चे का दाखिला नहीं कराया है।
रजिस्टर
चोरी, अखाड़ा बना स्कूल : पांच मार्च को स्कूल का रजिस्टर चोरी होने के बाद
प्रधानाध्यापिका ने इसकी शिकायत आइजीआरएस पोर्टल पर की, जिसके बाद
शादियाबाद थाने की पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
प्रधानाध्यापिका सुमनलता ने शिकायत में कहा था कि वह उपस्थिति लगाने के बाद
अपने स्कूल में बच्चे न होने के कारण समीप के उच्च प्राथमिक विद्यालय
तारडीह में मोटिवेशनल क्लास लेने गई थीं। वहां से वापस लौटी तो स्कूल का
रजिस्टर गायब मिला। पूछताछ में शिक्षिकाओं व बाबू ने कोई जवाब नहीं दिया।
शिक्षिका और प्रधानाध्यापिका की एक दूसरे की शिकायत के बाद जांच तक
प्रधानाध्यापिका का वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार को सीज कर दिया गया है।
’>>राजकीय हाईस्कूल भिक्खेपुर में कक्षा नौ व दस की होती पढ़ाई
’>>प्रधानाध्यापिका और एक लिपिक की तैनाती, बच्चों की संख्या नदारद
विद्यालय
में शिक्षिकाओं और प्रधानाध्यापिका में विवाद चल रहा है। सभी को हटाने के
लिए पत्र शासन को लिखा जाएगा। इसके अलावा विद्यालय में बच्चों का दाखिला
कराया जाएगा।
-ओपी राय, डीआइओएस
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